खड़ा हूँ आज भी वहीं
10/01/2025 · 1 min read
तुमसे मिलके मान लिया क्या खूब क़िस्मत मेरी थी,
मेरे देखे हर ख़्वाब में झलक तेरी थी ।
तुमने तो पर ठान लिया था कि हर चीज़ में ग़ल्ती मेरी थी
जबकि गलती सिर्फ़ एक थी, मान लिया था जो तू मेरी थी ।।
हमारी सैंकड़ों लड़ायिओं के बाद ये जो चल दी हो तुम अपने रास्ते पर
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